Courtsey:
www.patrika.com12/30/2014 1:06:51 AM
दूरदर्शन का नाम आते ही रामायण-महाभारत से लेकर हमलोग, बुनियाद और नुक्कड़ धारावाहिक की स्मृतियां कौंध जाती हैं। दूरदर्शन पर जब इन धारावाहिकों को दिखाया जाता था तक सड़कें सूनी हो जाया करती थीं। प्रसारण शुरू होने से पहले ही दर्शक टेलीविजन खोलकर बैठ जाया करते थे। समय के साथ निजी चैनलों का दौर शुरू हुआ और एकछत्र राज करने वाले दूरदर्शन को कड़ी चुनौती मिलने लगी।
सरकारी नीतियों के मकड़जाल में फंसकर दूरदर्शन दर्शकों से कटता गया। आज दूरदर्शन शायद ही कोई अपनी इच्छा से देखता हो। अच्छी बात है कि देश के नये सूचना-प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह का ध्यान इस ओर गया है। वे निजी चैनलों की तरह दूरदर्शन को भी वापस घर-घर पहुंचाना चाहते हैं।इसके लिए उनके अपने विचार है। उम्मीद है कि पुराने सूचना एवं प्रसारण मंत्रियों की तरह उनके विचार कागजों में ही नहीं रहेंगे और उनसे बाहर आकर दूरदर्शन का कायापलट करेंगे।
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